रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के बीच एक और बड़ी भू-राजनीतिक हलचल देखने को मिली। अमेरिका ने अपनी नई नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटेजी (NSS) जारी करते हुए पहली बार इतनी स्पष्टता के साथ भारत को एशिया में प्रमुख रणनीतिक शक्ति के रूप में केंद्र में रखा है। यह दस्तावेज़ न केवल अमेरिका की वैश्विक प्राथमिकताओं को दर्शाता है, बल्कि दुनिया की बदलती शक्ति संरचना और चीन के बढ़ते प्रभुत्व को भी चुनौती देता है।
भारत के साथ संबंधों को एक स्तर ऊपर ले जाने की घोषणा
इस रणनीति में कहा गया कि आने वाले वर्षों में अमेरिका, भारत के साथ रक्षा, व्यापार, तकनीक और सुरक्षा साझेदारी को मजबूत और विस्तृत करेगा।
घोषणा में यह भी स्पष्ट किया गया:
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भारत इंडो-पैसिफिक में स्थिरता और शक्ति संतुलन का केंद्रीय स्तंभ है
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भारत की आर्थिक और सैन्य क्षमता एशिया के भविष्य को आकार देगी
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अमेरिका भारत के साथ दीर्घकालिक रणनीतिक, तकनीकी और सैन्य गठबंधन को प्राथमिकता देगा
विशेषज्ञों के अनुसार, यह पहली बार है जब NSS में भारत को सिर्फ साझेदार नहीं बल्कि “क्षेत्रीय सुरक्षा आर्किटेक्ट” कहा गया है।
चीन पर अमेरिका की कड़ी नजर: अकेले मुकाबला नहीं, साझेदारी में जवाब
दस्तावेज़ में साउथ चाइना सी, ताइवान स्ट्रेट और इंडो-पैसिफिक में चीन की आक्रामक गतिविधियों को लेकर स्पष्ट चेतावनी जारी की गई। NSS में कहा गया:“साउथ चाइना सी में चीन की विस्तारवादी नीति का मुकाबला अमेरिका अकेले नहीं करेगा, बल्कि भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस के साथ मिलकर रणनीतिक जवाब तैयार करेगा।” यानि अब अमेरिका चीन के खिलाफ बहु-देशीय सुरक्षा ब्लॉक तैयार करने की दिशा में बढ़ रहा है, जिसमें भारत की भूमिका सबसे मजबूत रहेगी। यह क्वाड की प्रभावशाली पुनर्परिभाषा भी मानी जा रही है।
रूस-भारत निकटता के बीच अमेरिका की रणनीतिक हस्तक्षेप
NSS का यह समय भी महत्वपूर्ण है।
इसी दौरान:
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पुतिन भारत में उच्चस्तरीय रक्षा-ऊर्जा वार्ता कर रहे हैं
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भारत-रूस S-400, हथियार डील, तेल और परमाणु सहयोग को नए सिरे से मजबूत कर रहे हैं
विश्लेषकों का मानना है कि यही कारण है कि वाशिंगटन ने रणनीतिक दस्तावेज़ में संदेश दिया कि अमेरिका भारत को रूस के साथ समीकरण से बाहर नहीं करना चाहता, बल्कि उसे भविष्य की Indo-Pacific सुरक्षा संरचना में मुख्य साझेदार बनाए रखना चाहता है।
भारत की भूमिका: बैलेंसर से पावर सेंटर तक
नई NSS में भारत को सिर्फ साझेदार नहीं बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन में निर्णायक भूमिका वाला देश बताया गया है।
रणनीति में कहा गया:
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भारत एशिया की उभरती सैन्य शक्ति
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वैश्विक सप्लाई चेन का विश्वसनीय केंद्र
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अगली पीढ़ी की तकनीक का मुख्य विकास भागीदार
अब भारत सिर्फ “बफर” या “बैलेंसर” नहीं बल्कि पावर सेंटर के रूप में चित्रित किया गया है।