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वक्फ बिल से क्यों नाखुश हैं मुसलमान? 5 पॉइंट्स में समझें पूरा विवाद

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Posted On:Thursday, April 3, 2025

लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पारित हो गया है, जिससे देशभर में राजनीतिक बहस और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। मुस्लिम संगठनों के साथ-साथ विपक्षी दल भी इस विधेयक का कड़ा विरोध कर रहे हैं। कई मुस्लिम समुदाय के लोग इस विधेयक से नाखुश हैं और इसे वक्फ संपत्तियों के खिलाफ एक कदम बता रहे हैं। आइए जानते हैं कि इस विधेयक में क्या बदलाव हुए हैं और इसका विरोध क्यों हो रहा है।

1. संपत्ति संबंधी समस्या

नए कानून के तहत, यदि वक्फ बोर्ड की संपत्ति का पंजीकरण नहीं हुआ है, तो छह महीने बाद वक्फ इसको लेकर कोर्ट में नहीं जा सकेगा। भारत में कई वक्फ संपत्तियां 500-600 साल पुरानी हैं, जिनके दस्तावेज मौजूद नहीं हैं। इससे मस्जिदों, कब्रिस्तानों और इस्लामिक स्कूलों को कानूनी विवादों में फंसने का खतरा बढ़ गया है।

2. समय-सीमा का प्रभाव

विधेयक में धारा 107 को हटाकर वक्फ बोर्ड को परिसीमा अधिनियम, 1963 के दायरे में लाया गया है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई व्यक्ति किसी वक्फ संपत्ति पर 12 साल या उससे अधिक समय तक काबिज रहता है, तो वक्फ बोर्ड उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकेगा। इससे कई संपत्तियों पर विवाद खड़ा हो सकता है।

3. सरकारी नियंत्रण में वृद्धि

नए कानून के अनुसार, वक्फ बोर्ड की सभी संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य होगा, और इसका अधिकार जिला कलेक्टर को दिया गया है। साथ ही, केंद्र सरकार अब सेंट्रल वक्फ काउंसिल में तीन सांसदों की नियुक्ति कर सकती है, जिनका मुस्लिम होना जरूरी नहीं होगा। इस प्रावधान का व्यापक विरोध किया जा रहा है।

4. गैर-मुस्लिमों का प्रवेश

संशोधित विधेयक के अनुसार, वक्फ बोर्ड काउंसिल में दो महिलाओं और दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा। साथ ही, केवल वे मुस्लिम ही वक्फ को संपत्ति दान कर सकते हैं, जो कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे हों। इस प्रावधान को लेकर कई मुस्लिम संगठनों में असंतोष है।

5. वक्फनामा की अनिवार्यता

इस्लामी परंपरा में बिना लिखित दस्तावेज के संपत्ति दान करने की प्रथा रही है, लेकिन नए कानून के तहत अब बिना वक्फ डीड वाली संपत्ति को वक्फ बोर्ड का स्वामित्व नहीं माना जाएगा। इससे पुराने दान किए गए संपत्तियों के कानूनी स्थिति पर असर पड़ेगा।

6. उच्च न्यायालय में अपील

अब तक, वक्फ संपत्तियों से जुड़े मामलों की अपील केवल वक्फ न्यायाधिकरण में ही की जा सकती थी और उसके फैसले को अंतिम माना जाता था। लेकिन नए कानून के तहत अब इन फैसलों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। इससे न्याय प्रक्रिया लंबी और जटिल हो सकती है।

निष्कर्ष

वक्फ संशोधन विधेयक ने देशभर में नई बहस को जन्म दिया है। इसके समर्थकों का कहना है कि इससे पारदर्शिता आएगी और संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन होगा, जबकि विरोधियों का मानना है कि इससे वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ जाएगा और मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का हनन होगा। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विधेयक देश के मुस्लिम समाज और राजनीति पर क्या प्रभाव डालता है।


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