कांग्रेस पार्टी आगामी 14 दिसंबर को दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में एक बड़ी रैली आयोजित करने जा रही है. इस रैली का मुख्य उद्देश्य 'वोट चोरी' और विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) जैसे महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दों को उठाकर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को घेरना है. कांग्रेस इन मुद्दों पर लंबे समय से मुखर रही है और आरोप लगा रही है कि चुनाव प्रक्रिया में अनियमितताएं बरती जा रही हैं.
इस रैली से पहले, कांग्रेस ने इन दोनों मुद्दों को लेकर देशभर में एक व्यापक हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था. इस अभियान के तहत एकत्र किए गए हस्ताक्षरों को 14 दिसंबर की रैली के बाद राष्ट्रपति को सौंपा जाएगा. देश के कई राज्यों से कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आम लोगों को इस रैली में शामिल करने की तैयारी पूरी कर ली गई है.
अकेले करने का था विचार, अब सहयोगी दलों पर सस्पेंस
शुरुआत में, कांग्रेस ने दिल्ली की रामलीला मैदान रैली को अकेले आयोजित करने का फैसला किया था. हालांकि, कांग्रेस के उच्च सूत्रों के मुताबिक, पार्टी अब इंडिया गठबंधन में शामिल अन्य सहयोगी दलों को भी शामिल करने पर विचार कर रही है. लेकिन सहयोगी दलों को बुलाने पर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका है.
इस संशय के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण बताए जा रहे हैं:
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TMC की अलग रणनीति: कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी को लगता है कि SIR मामले पर तृणमूल कांग्रेस (TMC) पूरी तरह से साथ में नजर नहीं आ रही है. TMC कथित तौर पर इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस को अपने नीचे रखकर फ्रंट फुट पर केंद्र और चुनाव आयोग को घेरना चाहती है, जिससे कांग्रेस असहज महसूस कर रही है.
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नकारात्मक छवि का डर: कांग्रेस नेताओं को यह भी लग रहा है कि यदि इंडिया गठबंधन के बाकी दलों को आमंत्रित किया जाता है, और यदि बड़े सहयोगी दलों के बड़े नेता स्वयं रैली में नहीं आए, तो इससे एक नकारात्मक छवि और संदेश जनता के बीच जा सकता है, जो गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े करेगा.
सहयोगी दलों के बड़े चेहरों पर सस्पेंस बरकरार
इन्हीं कारणों के चलते, कांग्रेस ने अभी तक सहयोगी दलों को बुलाने को लेकर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया है. पिछले कई दिनों में कांग्रेस आलाकमान इस विषय को लेकर कई आंतरिक बैठकें कर चुका है, लेकिन सहमति नहीं बन पाई है.
कांग्रेस को लगता है कि इस रैली और 'वोट चोरी' के मुद्दे के जरिए वह न केवल अपने कोर वोटर को संबोधित कर सकती है, बल्कि बीजेपी पर लगे 'वोट चोरी' के खुलासे को भी जनता के सामने मजबूती से पेश कर सकती है. यह देखना दिलचस्प होगा कि 14 दिसंबर की इस महत्वपूर्ण रैली में इंडिया गठबंधन की एकता का प्रदर्शन होता है या कांग्रेस अकेले ही इन गंभीर चुनावी मुद्दों पर अपनी लड़ाई जारी रखती है.